Sher aur Kauwa ki Kahani Hindi
शेर और कौवा पांच प्रसिद्ध कहानियाँ
sher aur kauwa ki kahani चतुर लोमड़ी और मूर्ख कौवा | चालाक मेंढक अपनी चोंच ही नहीं,अक्ल को भी थोड़ा तेज़ करो Chalak Khargosh story,शेर और कौवा
मेरे प्यारे मित्रों - बचपन में पंचतंत्र की कहानियाँ अपने ने पढ़ी होगी. मैंने तो बहुत पढ़ी, है. बचपन में - बहुत कहानियाँ पढ़ता था. जो Knowledge देने के साथ – साथ मेरा मनोरंजन भी करती थी.
Sher aur Kauwa ki Kahani |
Sher aur Kauwa ki Kahani- हम आपके साथ अपने बचपन की पंचतंत्र की 5 प्रसिद्ध कहानियाँ शेयर कर रहा हूँ. ये कथाएं बच्चो के लिए रोचक तथा मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धाक तो है।
पर साथ ही प्रत्येक अवस्था के लिए उपयोगी है, जो मुझे बहुत पसंद है. इन कहानियों को पढने से न सिर्फ आपको मजा आएगा बल्कि आपको ज्ञान भी मिलेगा?
''केकड़े ने सारस की गर्दन काट दी और सारस को अपने लालच का सजा मिल गई ?(🌿Sher aur kawa ki Kahani Hindi 🌿)
एक जंगल में बहुत से जानवर और पशु पक्षियाँ रहा करती थी । और जंगल में एक नदी भी था। जिससे जंगल के सभी जानवर पशु पक्षी पानी पिया करते थे। उसी नदी किनारे शेर का गुफ़ा था और कौआ शेर का मंत्री था।
शेर चालक था ताकि उनको शिकार करने में आसानी होती थी शेर को दूर नहीं जाना नहीं पड़ता था। नदी किनारे सभी जानवर पानी पिने आया करते थे। और आसानी से शिकार कर लेता था।
शेर और कौआ का दिन अच्छा बीत जाता था। जंगल के जानवरों को बहुत तकलीफ होती थी। बहुत दूर जाना पड़ता था, पानी पिने के लिए ,शेर के डर से गुफा के सामने जाने से शेर जानवरों को मार कर खा जया करता था। इसलिए दूसरे जगह पिने जाते थे ?
एक रात जब शेर गुफ़ा में सो रहा था तब एक बन्दर ने उसके सिर पर जंगली जड़ी बूटी डाल दिया और जैसे तैसे बन्दर वहाँ से भाग आया बन्दर डर से कांप रहा था। उसके पीछे से धुंआ निकल गया और जब सुबह हुई शेर ने पानी पिने के लिए नदी गया तो शेर से देखा की पानी में उसका सिर और दाढ़ी के बाल नहीं थे।
शेर देख के डर गया उसे यकीन नहीं हो रहा था फिर से गया और दुबारा अपना चेहरा देखने लगा पानी में तो सच में उसका बाल पूरा झाड़ चूका था। अरे क्या हो गया। अरे क्या हो गया कहने लगा शेर और गुफा में चला गया और सोंच सोंच के पागल हुये जा रहा था.
आखिर मेरे बाल कहाँ चला गया उसी समय कौआ आ गया गुफ़ा के बहार से चिल्लाया- शेर महाराज - शेर महाराज शिकार करने चलते है.
पर शेर ने नहीं निकला गुफ़ा से - कौआ आश्चर्य हो गया आज महाराज को क्या हो गया एक बार बुलाने से आ जाते है।पर कौआ ने गुफ़ा में चला गया और देखा शेर ने मुँह लटकाये दीवाल के किनारे बैठा था।
शेर ने कहा तुम बहार जाओ - तुम बहार जाओ मेरे सामने कभी मत आना। कौआ ने देख के बहुत हसने लगा महाराज आपका बाल कहाँ गया तुम मेरा मजाक मत बनाओ, ये सोंच -सोंच मैं पागल हो गया हूँ।
अब मैं इस गुफ़ा से बहार नहीं जा सकता अदि मैं बहार जाऊंगा तो जंगल के सभी जानवर मुझ पर हसी उड़ाएंगे ?
मैं हसी का पात्र नहीं बनना चाहता हूँ। तुम यहाँ से चले जाओ कौआ महाराज इस बात का एक ही अर्थ हो सकती है। क्या। कौआ - ने कहा आप इस गुफ़ा से बहार नहीं जायेंगे तो हम दोनों भूखे मर जायेंगे आप शिकार नहीं करेंगे तो क्या खा के जिन्दा रहेंगे - शेर के जिद के कारण एक हप्ता हो गया था. शेर और कौआ बुरी हालत हो गई थी।
दोनों भूख से ब्याकुल हो गए थे, सोंचा और कौआ ने कहा - महाराज इस तरह हम गुफा में ही मर जायेंगे पर एक बात है। क्या। यदि जंगल के जानवर हम पर हॅसते है चाहे कुछ भी कहें उनकी बातो पर हमें ध्यान नहीं देना चाहिए यदि उन जानवरों के हसने से हम भोजन मिलता है।
तो आपको बहार निकल ना चाहिए बहार क्या कहते है उस पर ध्यान देने से गुफ़ा के अन्दर ही मर जायेंगे? शेर ने कहा चलो जैसे भी है, शिकार करते है। कौआ की बातो से जान बचने की उम्मीद नजर आई.
sher aur kauwa ki kahani
इस कहानी की शिक्षा - मित्रों - हमें अपने काम पर ध्यान देना चाहिए बहार के लोग क्या कहते है उस पर अमल नहीं करनी चाहिए लोग तो कुछ भी कहते उनके कहने और हसने से आपको फर्क नहीं पड़ना चाहिए। जो भी करना है आपको ही करना है।
परिवार के लिए भोजन का प्रबंद तुम्हें करना है, बहार के लोगो को नहीं। उन्हें हसने दिये तुम कैसे दिखते हो काले हो या गोर हो, उससे फर्क नहीं पड़ता। खुद की सुनो और खुद की करो।
दूसरे लोग तुम्हे खाना नहीं देंगे ? यदि सही और सटीक जानकारी मिले तो उसे कभी अनसुना मत करना ? अपने दोस्तों की ज्ञान को बढ़ायें शेयर कर के शेर की कहानी को ?
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(Babbar Sher aur kawa ki Kahani )
एक पेड़ में बैठ गया और उसने देखा की एक बड़ा हांथी पेड़ के निचे मरा हुआ था। उसने सोंचा अरे जब भी भगवान् देता है छपर भाड़ के कौआ खुस हो गया हांथी को मरा हुआ देख कौआ के मुँह से पानी टपक ने लगा और कौआ निचे हांथी के पास आ गया। आज पेट भर के खाऊंगा मन ही मन बहुत खुस हो रहा था। पर कौआ बहुत ही उदास हो गया। क्या करता बेचारे कौआ उसकी चोंच इतनी मजबूत नहीं की वह हांथी की चमड़ी को चोंच से काट सके? निराश और दुःखी हांथी के चारो तरफ घूम रहा था।
Babbar Sher aur kawa ki Kahani |
Babbar Sher- उसी रास्ते से गुजर रहा था कौआ ने शेर को आते देख उसकी सीटी बज रही थी। डर से जैसे तैसे हिमत किया और जैसे सामने आया तो कौआ ने कहा - महाराज मैं आपका ही इंतजार कर रहा हूँ। किसी ने इसे मारा है। तब से मैं मखियाँ भगा रहा हूँ। अर्थात आप इस हांथी का भोग करें ? Babbar Sher- अरे मुर्ख कौआ मैं किसी का मारा हुआ जंतु को नहीं खा सकता। वहाँ से शेर चला गया। कौआ सोचने लगा मेरे नसीब में आज खाना मुश्किल लगता। कौआ भूख से ब्याकुल हो रहा था। आप समझ सकते की भूख किया होती है।
कुछ समय बाद एक चिता आया कौआ ने कहा मित्र आप इस पदचिन्ह को देख रहे हो, इसे बबर शेर ने मारा है। तब से मै इस हांथी का रक्षा कर रहा हूँ। पर आप भूखे लग रहे हो चाहो तो तुम थोड़ा मांस खा सकते हो, चिता ने पर शेर आई तो मेरा कचूमर बना देगा मेरी जान प्यारी है मित्र भले भूखा रहूंगा। कौआ मित्र इसकी चिंता मत करो आप आराम से इस हांथी का माँस खा सकते हो। आप मेरे मित्र है। जैसे ही शेर आने वाला रहेगा तब तुम्हें बता दिया करूंगा फिर आप भाग जाना। अरे वाह मित्र आप सच्चे मित्र फिर चिता हांथी का चमड़ी काटने लगा कुछ माँस चिता खा लिया था।
कौआ ने कहा - भागो -मित्र -भागो शेर आ रहा है। चिता ने सुन कर पूँछ उठा कर भागा - फिर कौआ ने राज किया पेट भर के खाया और उसकी जिंदगी आराम से कटने लगी।
Sher aur Kauwa ki Kahani - इस कहानी की शिक्षा :-
मित्रों - भूख हो या दुःख बीमारी हमेशा जीवन में नही रहती बीमारी खरगोश की तरह आती है और कछुए की तरह जाती। मुसीबत में अपना धैर्य न खोयें सही समय और सही बुद्धि का उपयोग समय पर करें। अपने विश्वास पर अडिग रहे सफलता धीरे -धीरे मिलती जैसे -कौआ
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🌳Stork and Crab Story in Hindi 🌳
एक बडा तालाब था। एक जंगल विभिन प्रकार के जीवों के लिए तालाब में भोजन सामग्री होने के कारण वहां कई जलीय जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए तथा केकडे आदि निवास करते थे। पास में ही सारस रहता था, उसे भी मेहनत करना बिल्कुल पसन्द नहीं लगता था। तथा आंखें भी कमज़ोर थीं। मछलियां पकडने के लिए तो मेहनत करनी पडती हैं,
जो उसे खलती थी। इसलिए आलस्य के मारे वह प्रायः भूखा रहता। एक टांग पर खडा सोचता रहता कि कोई उपाय किया जाए ताकि बिना हाथ-पैर हिलाए रोज भोजन मिले। उसे एक उपाय सूझा तो वह उसे आजमाने लग गया।
Stork and Crab Story in Hindi |
तालाब के किनारे खडा हो गया और आंखों से आंसू बहाने लगा । एक केकडे ने आंसू बहाते देखा तो वह उसके पास आया और पूछने लगा सारस भाई क्या बात है भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने की बजाय आंसू बहा रहे हो?'
सारस ने ज़ोर साँस ली और कर्कस आवाज में बोला 'बेटे,मछलियों का शिकार, बहुत कर लिया। अब मैं यह पाप कार्य नहीं करुंगा। मेरी आत्मा ग्लानि हो रही है । इसलिए मैं पास आई मछलियों को भी नहीं पकड रहा हूं। तुम तो देख रहे हो।'
केकडा बोला सारस भाई शिकार नहीं करोगे, तो खाओगे नहीं तो मर नहीं जाओगे?'
सारस ने कहा - 'ऐसे जीवन का नष्ट होना ही उचित है। बेटे, वैसे भी हम सबको एक दिन मरना ही है। मुझे ज्ञात हुआ है। शीघ्र ही बारह वर्ष तक लंबा सूखा पडेगा।'
यह बात एक त्रिकालदर्शी महात्मा ने बताई हैं, जिसकी भविष्यवाणी कभी ग़लत नहीं हुई है । केकडे ने जाकर सबको बताया, सारस ने भक्ति का मार्ग अपना लिया हैं और बोल रहा है कि सूखा पडने वाला हैं।
तालाब के सारे जलीयजीव मछलियां, कछुए, केकडे, मेंढक बत्तखें व सारस आदि दौडे-दौडे सारस के पास आए और बोले सारस 'भगत भाई, अब तुम ही हमें कोई रास्ता बताओ। तुम्हारी अक्ल लडाओ तुम तो ज्ञानी बन गए हो।' हम सभी जीवों का रक्षा करो।
सारस ने बताया कुछ दूर में एक जलाशय हैं जहाँ पहाडी झरना बहकर गिरता हैं। वह कभी नहीं सूखता। यदि सब जीव वहां चले जाएं तो बचाव हो सकता हैं। समस्या यह थी कि वहां तक जाया कैसे जाएं?सारस ने बोला 'मैं तुम्हें एक-एक करके पीठ पर बिठाकर वहां तक पहुंचाऊंगा क्योंकि अब मेरा शेष जीवन दूसरों की भलाई करने में गुजरेगा।'
तालाब के सभी जीवों ने गद्-गद् होकर कहने लगे ‘सारस महाराज की जै’
अब सारस रोज एक जीव को अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाता कुछ दूर ले जाकर मार डालता और खा जाता। कभी मूड हुआ तो दो जीवों को चट कर जाते तालाब में जीवों की संख्या घटने लगी। सारस भगत की सेहत बनने लगी। खा-खाकर खूब मोटे होते जा रहा था । उन्हें देखकर दूसरे जीव कहते थे। देखो, दूसरों की सेवा का फल भगतजी के शरीर को लग रहा है।'
सारस मन ही मन खूब हंसता। कैसे-कैसे मूर्ख जीव भरे पडे हैं.दुनिया में जो विश्वास कर लेते हैं। ऐसे मूर्खों की दुनिया में थोडी चालाकी से काम लिया जाए तो मजे ही मजे हैं। इस संसार बिना हाथ-पैर हिलाए खूब दावत है। बैठे-बिठाए पेट भरने का जुगाड हो जाए तो आराम का बहुत समय मिल जाता हैं।
बहुत दिन यही क्रम चला। एक दिन केकडे सारस से कहा भगत भाई तुमने इतने सारे जीवों को वहां पहुंचा दिए, पर मेरी बारी अभी तक नहीं आई।' सारस बोले 'बेटा, आज तेरा ही नंबर लगाते हैं, मेरी पीठ पर बैठ जा।'
केकडा खुश हो गया और सारस की पीठ पर बैठ गया।सारस चट्टान के निकट पहुंचा तो वहां हड्डियों का पहाड देखकर केकडे का माथा ठनका। 'यह हड्डियों का ढेर कैसा है? जलाशय कितनी दूर है, भगत भाई।
सारस खूब हंसा और बोला 'मूर्ख, कोई जलाशय नहीं है। मैं पीठ पर बिठाकर यहां लाकर खाता रहता हूं। आज तू मरेगा।'
केकडा को सारी गणित समझ गया। वह सिहर उठा परन्तु हिम्मत न हारी और तुरंत अपने जंबूर जैसे पंजों को आगे बढाकर उनसे दुष्ट सारस की गर्दन दबा दी तब तक दबाए रखी, जब तक उसके प्राण न उड जाये।
'केकड़े ने सारस की गर्दन काट दी और सारस को अपने लालच का सजा मिल गई फिर केकड़ा तालाब लौटा और सारे जीवों को सच्चाई बता दी कि कैसे दुष्ट सारस भगत उन्हें धोखा देता रहा।
Stork and Crab Story in Hindi
कहानी शिक्षा: २ महत्वपूर्ण सीख देती है.
1. जीवन में बिना जाने पहचने सही और गलत की परक किये बिना दूसरों की बातों पर आंखें मूंदकर विश्वास नहीं करनी चाहिए, परिस्थिति तथा वास्तविक के बारे में पता लगा लेना उचित है. सामने वाला मनगढंत कहानियाँ बना रहा है और आपको लुभाने की कोशिश कर रहा हो।
2. जीवन में हर मोड़ पर आज के युग में अक्सर बुरे लोग मिलेंगे पर आप कठिन से कठिन परिस्थिति तथा मुसीबत के समय में भी अपना आपा नहीं खोना चाहिए हमेशा धीरज व बुद्धिमानी से कार्य करना चाहिए।
बुजुर्गो ने कहा - बिना विचारे सो काम करे सो पाछे पस्तावे:
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