Dharmik story in Hindi - सबसे बड़ा धर्मात्मा

Dharmik story एक अनोखी शिक्षाप्रद - दुनिया का सबसे बड़ा धर्मात्मा कौन है धर्मात्मा की बात सोचना कठिन है (Dharmik story in Hindi तीनो लोकों के स्वामी

 

 

 




 

 

   सबसे बड़ा  धर्मात्मा  Dharmik story in Hindi


Dharmik story एक  अनोखी शिक्षाप्रद - दुनिया का सबसे बड़ा धर्मात्मा कौन है ? धर्मात्मा की बात सोचना कठिन है (Dharmik story in Hindi तीनो लोकों के स्वामी भगवान उस पर प्रसन होते है।

 ऐसी कौन सी कर्मकांडी करते है , मनुष्य जो सर्वसेरेस्ट धर्मात्मा की गति को प्राप्त करते है। वह मनुष्य कौन है ? जो बड़ा धर्मात्मा है। 


Dharmik story in Hindi
Dharmik story in Hindi

सबसे बड़ा  धर्मात्मा  Dharmik story in Hindi

Dharmik story) एक राजा  बहुत ही कर्मनिष्ठा और  धर्म परायण राजा  था, जिसका चार  पुत्र थे ? चारों बेटे की शादी भी हो चुकी थी.

 राजा ने एक दिन सोचा की मेरी राज्य का राजा कौन बेटे को दिया जाये रानियों से चर्चा किया राजा ने ऐसी ही राज्य दे  दिया गया तो भाईओं में लड़ाई होगी  फिर राजा ने एक निष्कर्ष निकला।


सुबह राजा ने अपने चारो बेटो  को बुलाकर कहा - जो  भी सबसे  बड़े धर्मात्मा को ढूंढ कर लायेगा उसे ही अपने राज्य का राज भार का  राजा बनाया जाएगा और मैं आप लोगों को तीस दिन की अधि दिया जाता है। 

चारों लड़के  ने सुन कर अपने -अपने घोंडे  पर सवार हुए और चारों  दिशाओं में चले गए। 


एक दिन सबसे पहले उसका बड़ा लड़का आया - उसने अपने पिता के सामने एक सेठ जी को खड़ा कर दिया और कहा पिता जी ये सेठ जी अपने जीवन में बहुत दान पुण्य किया करता है।

 तथा कई मन्दिर  मस्जिद और तालाब भी बनवाये है और अन्य स्थान पर प्याऊ जल का साधन करवाए है.

 तीर्थो में इनकी सदाब्रत चलता रहता है नित्य हरी भजन भी करता है साधुओं को भोजन गौ पूजन करता मेरे हिसाब से ये बड़ा धर्मात्मा है। 


राजा ने कहा - ये वास्तव में धर्मात्मा है , सेठ जी का आदर सत्कार हुआ और वे चले गए। 

दूसरा लड़का आया - उसने एक दुबले पतले ब्राम्हण को लेकर लौटा पिताजी ये ब्राम्हण विप्रदेव का ज्ञान से चारों धाम तथा सात तीर्थों की पैदल यात्रा की है. ये सदा चन्द्रायणव्रत भी करता है और कभी झूठ नहीं बोलता है। 

ये ब्राम्हण को क्रोध भी नहीं करता तीनों समय स्नान करके संध्या वंदन मंत्र जाप करता है अर्थात मेरे हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा धर्मात्मा है। 


राजा ने ब्राम्हण को प्रणाम किया।  उन्हें बहुत सी दक्षिणा दिया और का ये भी अच्छे धर्मात्मा है। 

तीसरा लड़का भी आया - उसने एक साधु बाबा जी को लेके आया था 
बाबाजी आते ही आसन लगा के नेत्र बंद कर लिया। 

उनकी बहुत बड़ी जटा थी शरीर पर केवल हड़ियाँ भर जान पड़ती थी, लड़का ने बताया महराज बहुत निवेदन प्रार्थना करने पर पधारे है। ये बहुत बड़े तपस्वी है। 

 धुप हो गर्मी बारिस सर्दी हो बिना अन्य जल के और सिर्फ हप्ते में एक बार दूध पीते है। ये सदा भगवान का ध्यान करते है। दुनिया में इससे बड़े धर्मात्मा की सोचना भी कठिन है। 

राजा ने - महात्मा को प्रणाम किया --- महात्मा आशीर्वाद देकर बिना कुछ कहे चले गए - राजा ने कहा अवश्य ही ये बड़े धर्मात्मा  है। 


सबसे अन्त में  छोटा लड़का आया उसने एक गरीब किसान मैले कपडे पहने हुए को लाया था। उस किसान ने दूर से ही हाँथ जोड़कर डरता हुआ.

 राजा के पास गया उसी समय राजा के तीनों बेटे छोटे बेटे को हसी मजाक उड़ाने  लगे  छोटे की मुर्खतापर खूब मज़ा लिए 


छोटे भाई ने कहा -ये गरीब किसान  एक कुत्ते के शरीर में घाव हो गया था पता नहीं किसका कुत्ता था मैंने इसे घाव को साफ और मल्हम पट्टी करते हुए पाया अर्थात इसे ले आया पता नहीं ये धर्मात्मा है या नहीं आप ही पूछ लीजिये ?


राजा ने पूछा --- तुम क्या  धर्म  करते हो ?

किसान -- डरते हुए कहा महाराज मैं तो अनपढ़ हूँ ? धर्म क्या है मैं क्या जानूँ - कोई बीमार होता  तो सेवा कर देता हूँ। कोई माँगता है तो मुट्ठी भर अत्र दे देता हूँ। 

राजा ने कहा - ये इंसान दुनिया का सबसे बड़ा धर्मात्मा है - सब कोई इधर उधर देखने लगे।  तो राजा ने कहा -- दान पुण्य करना ,देवताओ की और गौकी पूजा करना धर्म है.

 झूठ बोलना, क्रोध न करना , तीर्थयात्रा करना ,संध्या पूजन करना भी धर्म है। तपस्या करना भी धर्म है।  

किन्तु:- सबसे बड़ा धर्म है। बिना किसी चाहके असहाय प्राणियों की सेवा करना , बिना किसी निःस्वार्थ  भाव से लोगों मदद करना ,भूखे को भोजन करना, रोगी व्यक्ति को कस्ट में सहायता करना ---


जो इंसान दूसरे प्राणियों की भलाई करता उसकी भलाई अपने आप होती है।  तीनो लोकोमे स्वामी भगवान् उनके ऊपर सदा प्रसन रहते है।

 भागवत गीता में कहा गया. भगवान ने आपको मदद करने का काबिल बनाया है. ( पर हित सरिस धर्म नहीं भाई। .....)

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