Hindi very short story for class 2, with moral, In this post, you will get short Hindi stories - नैतिक शिक्षा की कहानियां कक्षा नोवी के बच्चों के लिए Hindi story narration for class 2 हिंदी कहानियां!!!पंचतंत्र की कहानियाँ with moral, small Panchatantra stories in Hindi with pictures.
Hindi short stories with morals for kids. Collection of Short story in Hindi,बच्चों के लिए नैतिकता के साथ हिंदी लघु कथाएँ। हिंदी में लघु कहानी का संग्रह - नैतिक कहानियाँ बच्चों में नैतिक मूल्य और गुण। इन छोटी कहानियों के माध्यम से, विचार हमारी संस्कृति की महानता का वर्णन करता है।
अपने विचार को पानी दें और उसे एक पेड़ बनाये जो हमेशा फल दे?(Moral Stories for life ) इसके माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को जान सकते हैं।
बाहर की चुनौतियों से नहीं ,हम अपनी अंदर की कमजोरियों से हारते है !!
मार्ग दर्सन सही हो तो दिए का प्रकाश भी सूरज का काम कर जाता है !!!
🌲 मेंढक की सोंच🌲
एक समय की बात एक मेंढक घूमते - घूमते एक तालाब के किनारे आ पहुंचा और बारिश भी हो रही भी तालाब में एक होशियार चंद नामक मेंढक रहता था, होशियार चंद आओ मेरे दोस्त बड़ी दिनों आ रहे हो
दूसरी मेंढक मैं टहलने निकला था की अचानक बारिश होने लगा मैं भागते -भागते तुम्हारे तालाब किनारे आ गया।
होशियार चंद- मेंढक चिन्ता मत करो दोस्त मेरा तालाब सबसे बड़ा आप आराम से मेरे साथ रह सकते हो पर आप कहाँ रहते दूसरी मेंढक ने कहा मै समंदर में रहता हूँ , क्या मेरे तालाब से बड़ा है , कितना बड़ा मेरे तालाब जैसा सायेद मेरे तालाब से बड़ा नहीं हो सकती। चलो मेरे साथ समंदर , होशियार चंद मेंढक की होस उड़ जाता है, समंदर देख ?
इस कहानी की शिक्षा: हमारी सोंच जहाँ खत्म होती है, वहीँ से दुनिया शुरू होती हमें यकीन होती कभी - कभी असंभव सी लगने लगती है। कोई हमें बताते है, तब हमें यकीन होती है।
इक्षा राम - एक जीन की कहानी
इक्षा राम एक दिन काफी उदास था और एक पेड़ के पास बैठा हुआ था। उसी रास्ते से एक साथु बाबा गुजर रहा था इक्षा राम को देखा क्या बात है बेटे तुम इतनी उदास क्यों हो इक्षा राम क्या बताऊँ बाबा मेरे बहुत सारे इक्षाएं है, जो पूरी नहीं हो रही मै एक निर्धन आदमी हूँ।
साधु ने इक्षा राम को एक चिराग दिया और कहा इसे लेजाओ तुम्हारी सारी इक्षाएं पूरी कर देगी पर जब तक तुम अपना इक्षा बताते रहो गे तब ठीक है नहीं तो तुम्हें जीन खा जायेगा, इक्षा राम ठीक है बाबा इसका ख्याल रखूँगा,
थोड़ी दूर जाकर इक्षा राम चिराग को रगड़ा जीन बहार आया और कहा तुम्हारी क्या इक्षा है बताओ नहीं तो मै तुम्हे खा जाऊंगा, इक्षा राम एक सुन्दर महल बना दो ताकि मै आराम से रह सकूँ , जीन चुटकी बजाय और महल तैयार हो गया और क्या इक्षा है, जल्दी बताओ नहीं तो तुम्हें खा जाऊंगा मेरे लिए स्वादिस्ट भोजन बनाओ जीन चुटकी बजाया भोजन सामने आ गया इस तरह इक्षा राम सारी इक्षाएं ख़त्म हो गया जीन तुम्हारी इक्षा बताओ नहीं तो मै तुम्हे खा जाऊंगा, इक्षा राम डर से हैरान परेशान बाबा जी के पास दौड़ा
बाबा जी - बाबा जी मेरा रक्षा करो नहीं तो जीन मुझे खा जायेगा बाबा देखा मैंने तुम्हे कहा था जीन से तुम कहो इस कुत्ते की दुम को सीधा करे ?
इक्षा राम ने वैसी कहा फिर जीन ने कुत्ते की दुम को पकड़ कर सीधा करने लगता सीधा कर के छोड़ देता फिर से वैसी हो जाता है. क्योकि की कुत्ते की दुम कभी सीधा नहीं होता इस तरह से इक्षा राम की जान बची ?
इस कहानी शिक्षा: दोस्तों इक्षा तोअनन्त है जो कभी पूरी नहीं हो सकती जीवन लीला समाप्त होने पर भी नहीं होती , लालच एक बुरी बला है तुम्हारे पास जोभी है उसी में संतुस्ट रहने का प्रयास करे ?
Hiran Ka Vaada - हिरन का वादा 🐏
Hindi Stories for Kids- इस हिंदी कहानी को देखें जो जीवन का एक महत्वपूर्ण नैतिक प्रदान करती है। तो अपने बच्चों को मस्ती के लिए यह नैतिक कहानी सीखिए। इन कहानियों को पढने से न सिर्फ आपको मजा आएगा बल्कि आपको ज्ञान भी मिलेगा?
moral stories in Hindi (बहुत समय की बात है. एक गांव एक शिकारी रहता था उसके परिवार का भरण पोषण जानवरों का शिकार कर जीवन यापन करते थे।
एक एक दिन सुबह शिकार करने जंगल गया जाते - जाते उसे रास्ते में एक हिरन दिखाई दिया उसे निशाना लगता पर हिरन छुप जाता फिर दूसरे तरफ से जाता हिरन देख फिर छुप जाता शिकारी सोचने लगा ये हिरन मुझे जनता होगा की मैं उनका शिकार करने आया हूँ। शिकारी सोचते ही रहता है. उसी समय हिरन शिकारी के पास आ खड़ा होता है।
शिकारी आश्चर्य से देखता, हिरन कहता - शिकार भाई आप मुझे मारना चाहते पर आज मुझे मत मारो कल ठीक इसी समय आ कर मुझे मार कर लेजा सकते मै तुमसे वादा करता हूँ। बात सुन शिकारी सोचने लगा पता नहीं ये कल आयेगा लेकिन इस तरह कोई सामने नहीं आता ओभी निर्भय हो कर मेरे सामने आया है। इसकी बात में कुछ तो है। हिरन की बात पर शिकारी मान लिया।
Hindi very short story- हिरन ने अपने बच्चों तथा पत्नी से देखो तुम लोग उदास न हो मैं तुम्हे दिखा दूँगा जहाँ हरी घास खूब नरम -नरम है वहां पर कोई खतरा नहीं है अगर कोई कष्ट हो गई तो नदी के उस पार मेरे भाई रहता तुम्हारी सहायता अवश्य ही करेगा क्योकि कल सुबह मुझे जाना पडेगा शिकारी से वादा कर के आया हूँ। हिरन के बच्चे सब रोने लगे रात भर नहीं सोय ?
दूसरे दिन शिकारी वहीँ आ कर इंतजार करता है कुछ देर में हिरन आ जाता है। हिरन देख शिकार आश्चर्य हो जाता है। अरे हिरन आ ओ मैं तुम्हारा ही प्रतीक्षा कर रहा हूँ। अरे ये क्या तुम इतने हिरन आ गए हो तुम तो अकेले आने का वादा किया था। हिरन - हे मानव मैं इन्हें बहुत समझने का प्रयास किया पर नहीं माने - हिरणी कहती हमारे छोटे छोटे बच्चे है, तथा हम सब एक परिवार है। तो इनका ही प्राणं क्यों लेंगें अतः हम सब वादा निभा रहे है। आप अपना शिकार कर सकते है।
परिवार की स्नेह और एकता को देख शिकारी का मन परिवर्तन हो गया। मैं तुम्हे नहीं मारूंगा तुमने मेरी आँखें खोल दी आज से किसी प्राणीं का हत्या नहीं करूंगा क्योकि परिवार का एक सदस्य का मृत्य होने पर कितना कष्ट और दुःख दाई सहन करना पड़ता है। इस पाप का भागी दार नहीं बनना मैं जनता हूँ। परिवार ही एक सच्चा मित्र है। जो हर सुख और दुःख में साथ देता है। मैं तुम लोगों अलग नहीं कर सकता अतः मुझे क्षमा करें ?
Moral of the story
इस कहानी की शिक्षा:-
मित्रों - हमें परिवार के प्रति सनेह प्यार का हो चाहिए परिवार के सदस्य ही परिवार का साथ देता है। जीव हत्या पाप माना गया है सनातन धर्म कहा गया है। जीव जंतु जैसे उनका भी परिवार है। किसी असहाय प्राणीं को नहीं मारना चाहिए तथा निर्बल प्राणीं का हो सके तो सहायता करना चाहिए ?
Hindi story for class 2 with moral
👜 जादुई स्कूली बैग - बंकू
एक गांव में बंकू नाम का लड़का था बहुत ही सीधा साधा और नेक लड़का
हर रोज स्कुल जाता समय पर घर आ जाता संस्कारित बच्चा था अपने माता पिता का बात मानता था, उसका पिता बहुत ही गरीब परिवार से था बहुत ही मुस्किलों से परिवार का गुजर बसर हो रही थी।
एक दिन बंकू का बैग फट गया पिता जी से बंकू ने पिता जी - पिता जी ये बैग तो पूरी तरह से बैग फट चूका है, मै कैसे स्कुल लेजाऊंगा बुक(पुस्तक) सब को पिता जी देखो बेटा मै इतना पैसा मेरे पास नहीं है की तुम्हें फिर से स्कुल बैग कहाँ से ला कर दूँ बहुत ही मुश्किल से एक वक्त की रोटी जुगाड़ कर पा रहा हूँ तुम तो जानते हो ना बेटे, बंकू ठीक है पिता जी बंकू बहुत ही उदास और घर से बहार चला गया रोते - रोते एक जंगल में पहुंच रास्ते में एक पेड़ के नीचे मुँह लटकाये हुए बैठ गया बंकू के माता पिता परेशान हो रहे थे ?
इस हल चल से बंकू समझ जाता है। की रोहन ने ही उसकी बैग लिया फिर बंकू रोहन के घर से बैग लेकर आ जाता रोहन बंकू से माफ़ी मांगा और सब ठीक हो गया ?
Moral of the story- इस कहानी की शिक्षा:
-:ईमानदारी महँगा तोहफा है , इसकी सस्ते लोगों से अपेक्षा न करें :-
मित्रों - हमें दूसरे की वस्तु पर लालच नहीं करनी चाहिए चोरी का फल मनुष्य को नहीं फलता है, दूसरे के कार्य पर हमें इस्या नहीं होनी चाहिए ?
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