शिक्षाप्रद New 51+ Short Moral Story In Hindi नैतिक

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 नैतिक कहानियाँ में हम आपको short Moral stories in Hindi के बारे में बताने वाले है। शिक्षाप्रद कहानियों को बचपन में अपने दादा दादी से  जरूर सुना होगा। यह कहानियाँ बहुत ही अचंभित ज्ञानवर्धक और शिक्षावर्धक  है।

 नैतिक कहानियों से आप बहुत सारी अच्छी बात सीखेंगे। जिनको आप अपनी जीवन में प्रयोग करके सफलता पा सकते है। यह कहानियाँ बहुत ही रोचक है। जिनको पढ़कर आपको बहुत आनंद तो आएगा। पर ज्ञान भी मिलेगा। आप के लिए - उपयोगी है .

   इनमे कुछ New moral short stories in Hindi 2021 दी गयी है। जिससे आपको नयापन का अनुभव हो। यदि आप पुरानी कहानियाँ पढ़ कर बोर हो गए है तो। यहाँ पर हम आपको सबसे अच्छी Moral stories in Hindi for kids दे रहे है।


कहानियों के माध्यम से बच्चों को अच्छी सीख देने वाली ये  Short Moral Stories in Hindi for Kids बच्चों को नैतिकता और साहसिक होने का गुण सिखायेंगी| प्रेरक कहानियाँ इंसान को निराशा से आशा की ओर ले जाने का मार्ग दिखाती हैं। प्रेरक कहानियाँ पढ़ने से इंसान के आचार और विचारों में सकारात्मक भावना …

 असलियत छुपाने का लाभ (धोबी का गधा ) ज्ञानवर्धक कहानी?


गुड हैबिट्स बेड टाइम सही चुनाव (A)भूल का फल (अधम बालक) (B) शिक्षाप्रद नैतिक कहानिया ( बहुत छोटी नैतिक कहानी... बच्चों का नाम बच्चा क्यों पड़ा? (बहुत छोटी नैतिक कहानियाँ)

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(moral stories in Hindi for class 1अधम बालक( भाग 1 )

वर्षा का दिन गली मोहला नदी तालाब लबा लब पानी भरी रहती है .गलियों में कीचड़ बारिश के दिनों में होतो रहती है.।  बारिस के मौसम में बड़ा सोर सुनाई देता है सहरों में  नहीं सुनाई देता पर गांव अधिक  तर सुनने को मिलती है। 

उनकी आवाज बड़े सुहाने लगते एक स्वर में टर्र टर्र टुन टुन पीपों करते रहते है। कुछ लड़के स्नान करने तालाब में आते थे .
 पानी  में कूदे और तैरने  लगेते बड़ा मजा लगता बच्चो को,

 उनमे से एक नटखट बालक उनके साथ रहता जो किसी की बात को नहीं मानता था। तालाब में हरे नीला,  पीला, रंग के मेंढक रहा करते थे।  पहली - पहली बारीस की दिनों में देखने को मिलती है। 


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                               (A)अधम बालक 

 बच्चो में सोचने समझने क्षमता कम होती है । ओ क्या कर रहा उसको पता नहीं रहता है। अधम बालक स्कूलों में बड़ा परेशान किया करता बुक फाड् देता तो कभी किसी के ऊपर सु सु कर देता ऐसी बहुत सारे हरकत किया करता था। 


एक दिन  
अधम बालक  ने तालाब  में देखा की  जब रंग बिरंगे  मेंढक, और मेडिका प्यार मोहब्बत रहे थे जैसे लैला, और मझनू  की तरह बारिस के दिनों में मेंढकों की महफ़िल सजी होती तालाबों  में , कई  रंग बिरंगे मेंढक किनारे,

 अपनी प्रेमिका का इजहार करते रहते है ।  इधर टर्र तो उधर टुन उछलना कूदना देख कर लड़का को बड़ा मजा  
आ रहा था।  लड़का ने पत्थरों से मारने लगा और उसे कूदते देख हस्ता। 


पत्थर लगने से बेचारे मेंढकों को चोट लगती थी उनको अगर मनुष्यकी  भाषा बोलनी आती तो अवश्य वे लड़के से प्राथना करते, और शायद गली भी देते पर बेचारे क्या करें चोट लगती, और  प्राण बचाने के लिए पानी में कूदते अपनी पीड़ा को सहलेने के सिवा उनके पास  कोई उपाए  नहीं था 


लड़का नहीं जनता इस प्रकार खेल - खेल में मेदकों को पत्थर मारना तथा अन्य किड पतंगा कुत्ते बिल्ली जीवों को तंग करना अथवा जान लेलेना भाई उनकी भी  एक परिवार है आपकिहि तरह शास्त्रों पाप मन जाता है।

 किसी भी असहाय प्राणी पर अत्याचार नहीं करना चाहिए ? दुःखी को सहायता भूखे को भोजन , निर्धन को धन आप से जितना हो सके ? जो दूसरे का भलाई करते है उसे भगवान् काबिल बनता है। 

दुःख में दुःख पियो और सुख में दारू गेहूँ के साथ में रहोगे तो घुन की तरह पिसाओगे ? घुन का कोई दोस नहीं पर गेहूँ। ....... )


 (short moral stories in Hindi for class 1)बच्चों का नाम बच्चा क्यों पड़ा

अधम बालक - के एक दिन चित्र गुप्त और यमराज आये और कहा ये बालक को बाँध का र घसीटते हुए नर्क में लेचलो महराज मैं इसी बालक को नहीं छू सकता क्योकि ये बहुत बड़ा पापी है।

 खोलते हुए तेल में डालेंगे पकोड़े जैसे - यमराज गरजते हुए हाँ पकौड़े समान लड़का सुन रहा था पकौडे के सामान पकाया जाऊंगा।  मैं तुम्हारा क्या बिगाड़ा है मुझे छोड़ दो गिड़गिड़ाता प्रार्थना की।

  तू पापी है तू असहाय जीव की हत्या किया है। तू अधम पाप क्या यमराज जी मै अनजाने में पाप कर दिया हूँ आज के बाद ऐसा पाप नहीं करूंगा बच्चे ने प्रतिज्ञां किया फिर यम गायब होगया। 


लड़का - भागता हुआ घर आगया अपने माता पिता को सब बाते बताया 
माँ  मैंने कौंन सा पाप किया है।  बेटा - तूने निरपराध मेंढकों को मार कर बड़ा पाप किया है।  किसी भी निरपराधको कष्ट देना महपाप है। 


                 (पर पीड़ा सम नहिं अधमाई )

बच्चों को गलतियों से ही बचाना, बच्चों को ही बचाना बच्चा है इस लिए 
बच्चा का नाम बच्चा है।  बचाना ही बच्चा है। 

पाठशाला  स्कूल  स्वामी विवेकानंद जीवन घटना कथा

   Hindi short stories for class 1 (भूल का फल )


एक समय की बात है एक खूबसूरत परिवार था खरगोश भाई का एक जंगल में उनकी शादी हो जाती है। दोनों पति पत्नी बहुत खुसी खुसी जीवन जी रहे थे। एक दिन डबल खुसी मिली खरगोश और खरगोशेन  को उनकी जीवन खुसी का ठिकाना नहीं था।


 जैसे (अपने परिवार नई मेहमान आने की खुसी ) खरगोश का प्यारा सा एक बच्चा हुई। कुछ दिन बाद वर्षा काल आरम्भ हो चुकी थी। उस रात बहुत बारिश हुई जब सुबह हुई खरगोश और उसका परिवार समेत। ........चमचमाती धुप खिली माँ का दूध पी कर डांस किया।  



एक दिन जंगल में घास 
चरने उसकी माँ और बेटी  मस्त घास चरने लगे। 
खरगोश का बचा उछल कूद कर रहा उसे बड़ा मजा आता माँ बोली बेटा दूर मत जाना मेरे आस पास रहना, नहीं तो रास्ता भूल जाओगे।

  खरगोश का बच्चा हुस्यार चंद समझ ने लगा था। ठिक है माँ मै थोड़ी दूर पर ही हूँ मेरा चिंता मत करना - खगोश खेलते - खेलते बहुत दूर निकल था साम होने वाली बारिश का मौसम घना घोर बादल गरजने लगा। 

 खरगोश का बच्चा अपने समझ पर बहुत अभिमान था पर  रास्ता भटक गया। फिर उसे याद आई कास मैं। .... माँ का बात मान लिया होता। ..... कँटीली झाड़ियों के बीच रास्ता ढूंढने के लिये कदम आगे बढ़ाया।

 अरे -- तू तो बहुत अच्छा आया मुझे तीन दिन से भोजन नहीं मिला है।  पास की झाड़ियों में भूखा खतरनाक भेड़िया यह कहते हुए निकल पड़ा खरगोश के बच्चे को उत्तर देने का अवकाश मिला  और न रोने का उसे  केवल मन में एक बात स्मरण आयी -----


मातु पिता गुरु स्वामी सिख सिर धरि करहिं सुभायँ। 

लहेउ लाभु तिन्ह जनम कर नतरु जनमु जग जायँ 


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मेरे प्यार मित्रों माता पिता गुरु और भगवान है उन्ही के बदलौत हम इस संसार का दरसन हो रही है। अर्थात माता पिता की बातों माना चाहिए 
आप कौन सी योनि में आते है।  मानने वाला या न मानने वाला अच्छा लगा हो तो इसे साझा करना मत भूलना शिक्षाप्रद कहानियाँ के साथ आप से फिर मिलेंगे धन्य वाद 


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