Hindi Kahaniya stories in Hindi प्रसिद्ध
कहानियाँ
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हिंदी में लघु कहानी का संग्रह - नैतिक कहानियाँ बच्चों में नैतिक मूल्य और गुण। इन छोटी -छोटी कहानियों के माध्यम से, विचार हमारी संस्कृति की महानता का वर्णन करता है। अपने विचार को पानी दें और उसे एक पेड़ बनाये जो हमेशा फल दे?(Stories for life ) इसके माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को जान सकते हैं।
अब तो आन पड़ी है ? चालक मंत्री
राजा को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के माड़वारी से कहा- पहरेदारी करनी पड़ेगी। आज से तुम लोगों को राजा की बात
सुनकर माड़वारी घबरा गए और मंत्री के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।
मंत्री ने उन्हें हिम्मत बँधायी, तथा सान्तवना दिया घबराने की जरुरत नहीं
चालक मंत्री एक तरकीब निकली
”तुम सब अपनी- अपनी पायजामों को सिर पर लपेटकर तथा पगड़ियों को पैर में और रात्रि के एक बजे का समय नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।__अब तो आन पड़ी है।”
उधर राजा भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। माडवारी का यह निराला स्वांग देखकर राजा पहले तो हँसे, पड़े फिर बोले- ये सब क्या है ?” माड़वारीयों के मुखिया ने कहा-
महाराज हम माड़वारी जन्म से गुड़ तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया माड़वारी कहकर क्यों पुकारते?”
राजा ने चालक मंत्री की चाल समझ गया और अपना हुक्म वापस ले लिया।
जीवन में कोई भी अकेला नहीं हो सकता। हमें मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से हमारा समर्थन करने के लिए दूसरों की आवश्यकता है। रिश्ते, और विशेष रूप से दोस्ती, हमारे जीवन भर हमें बनाए रख सकते हैं। जब रोमांटिक रिश्ते खत्म हो जाते हैं, तब भी हम बिछुड़ जाते हैं, या बीमार हो जाते हैं, सच्ची दोस्ती हो जाती है।
हिंदी में लघु कहानी का संग्रह - नैतिक कहानियाँ बच्चों में नैतिक मूल्य और गुण। इन छोटी -छोटी कहानियों के माध्यम से, विचार हमारी संस्कृति की महानता का वर्णन करता है। अपने विचार को पानी दें और उसे एक पेड़ बनाये जो हमेशा फल दे?(Stories for life ) इसके माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को जान सकते हैं।
अब तो आन पड़ी है ? चालक मंत्री
राजा को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के माड़वारी से कहा- पहरेदारी करनी पड़ेगी। आज से तुम लोगों को राजा की बात
सुनकर माड़वारी घबरा गए और मंत्री के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।
मंत्री ने उन्हें हिम्मत बँधायी, तथा सान्तवना दिया घबराने की जरुरत नहीं
चालक मंत्री एक तरकीब निकली
”तुम सब अपनी- अपनी पायजामों को सिर पर लपेटकर तथा पगड़ियों को पैर में और रात्रि के एक बजे का समय नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।__अब तो आन पड़ी है।”
उधर राजा भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। माडवारी का यह निराला स्वांग देखकर राजा पहले तो हँसे, पड़े फिर बोले- ये सब क्या है ?” माड़वारीयों के मुखिया ने कहा-
महाराज हम माड़वारी जन्म से गुड़ तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया माड़वारी कहकर क्यों पुकारते?”
राजा ने चालक मंत्री की चाल समझ गया और अपना हुक्म वापस ले लिया।
kahaniya
बच्चों की दोस्ती की प्रकृति में एक नज़र!जीवन में कोई भी अकेला नहीं हो सकता। हमें मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से हमारा समर्थन करने के लिए दूसरों की आवश्यकता है। रिश्ते, और विशेष रूप से दोस्ती, हमारे जीवन भर हमें बनाए रख सकते हैं। जब रोमांटिक रिश्ते खत्म हो जाते हैं, तब भी हम बिछुड़ जाते हैं, या बीमार हो जाते हैं, सच्ची दोस्ती हो जाती है।
जब समय कठिन हो जाता है, तो हम जानते हैं कि हमारे पास हमेशा कोई ऐसा व्यक्ति है जो व्यावहारिक रूप से या सहायक तरीके से हमारी मदद कर सकता है, क्योंकि हम उनके कंधे पर बैठकर रोते हैं और फिर उस मुद्दे से निपटने के लिए आगे बढ़ते हैं।
लेकिन अच्छी दोस्ती दुर्घटना या संयोग की बात नहीं है। जब हम छोटे होते हैं, तो वे कौशल से आते हैं, जो हमें अपने शुरुआती वर्षों में भी जीवन-काल की दोस्ती बनाने में मदद कर सकते हैं।
बड़े होने के हर दूसरे पहलू की तरह, बच्चों को दोस्ती कौशल सीखने की जरूरत है। वे अपने माता-पिता से और अपने साथियों से सीखते हैं।
इस मार्गदर्शिका में, आप बच्चों की दोस्ती की प्रकृति, वे कैसे बनाते हैं, और हम कैसे माता-पिता की मदद कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करने में मदद कर रहे हैं कि वे स्थायी दोस्ती बनाने में सक्षम हों और बदमाशी जैसे नकारात्मक संबंधों से बचें।
Kahaniyan in Hindi
kids stories Hindi
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आहिस्ता चल जिन्दगी अभी
कई कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है
रफतार मे चलने से
कुछ रूठ गए
कुछ छुट गए
रूठो को मनाना बाकी है
रोते को हँसाना बाकी है
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कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते जुड़ते
उन टूटे छुटे रिस्तो के
जख्मो को मिटाना बाकी है
कुछ हसरतें अभी अधूरी है
कुछ काम भी और अभी जरुरी है
जीवन की उलझी पहेली को पुरा
सुलझाना अभी बाकी हैं
जब सांसे को थम जाना है
फिर क्या खोना क्या पाना है
पर मन के जिद्दी बच्चे को
यह समझना बाकी है
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